Saturday 11 October, 2008

नशीली मस्ती में डूबे युवा


पार्टियों के शौकीन युवा इन दिनों रेव पार्टीज की ओर खूब आकर्षित हो रहे हैं, जहां उन्हें नशे में डूबकर थिरकने का भरपूर मौका मिलता है। ऐसी पार्टिया मुंबई ,दिल्ली जैसी हैपनिंग जगहों से लेकर पुष्कर जैसी जगहों पर भी हो रही हैं। आइये जानते हैं इन पार्टियों की दुनिया के बारे में:


अंधेरी रात में शहर से दूर स्थित एक फार्म हाउस में तेज आवाज में बजता वेस्टर्न म्यूजिक, चमचमाती लेजर लाइटें, फोग मशीन से लगातार निकलता धुआं और इसके बीच अपनी सुध-बुध खोकर नाचते सैकड़ों नौजवान! इन दिनों युवाओं के लेटेस्ट टशन `रेव पार्टीज´ का नजारा कुछ ऐसा ही होता है। ये लोग फार्महाउसों या नाइट क्लबों में आयोजित होने वाली इन पार्टियों में दुनिया से बेखबर होकर नाचते हैं। जाहिर है, इस मस्ती को शबाब पर लाने के लिए सुरूर का पूरा इंतजाम होता है और शराब व बीयर से आगे बढ़कर यहां ड्रग्स की भी कमी नहीं होती। ऐसी कई पार्टियों में युवाओं को ओपन सेक्स तक करते देखा जा सकता है। दरअसल, ऐसी स्वछंदता को देखते हुए ही इन पार्टियों को रेव कहा जाता है। रेव का मतलब होता है मनमर्जी करने की छूट।

तेजी से बढ़ रहा है चलन
हाल ही में मुंबई के जुहू स्थित एक नाइट क्लब में आयोजित रेव पार्टी से 38 लड़कियों समेत 231 युवाओं को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहीं रेव पार्टियों को दोबारा चर्चा में ला दिया। गिरफ्तार किए गए इन युवाओं में फिल्म एक्टर शक्ति कपूर के बेटे सिद्धांत कपूर और आदित्य पंचोली की बेटी सना पंचोली भी शामिल हैं। इसके अलावा, पार्टी से ड्रग्स बेचने वाले नौ लोगो को भी गिरफ्तार किया गया है। इनके पास से चरस, गांजा और नशीली टेबलेट्स मिली हैं। इससे पहले 28 सितम्बर को ही सुबह तीन बजे पुष्कर में भी एक रेव पार्टी पकड़ी गई थी, जहां से 25 विदेशियों समेत 37 लोगों को में गिरफ्तार किया गया। उनके पास से बड़ी मात्रा में ब्राउन शुगर, बीयर और वाइन बरामद हुई। इससे पहले मार्च 2007 में पुणे में भी एक बड़ी रेव पार्टी पकड़ी गई थी। शहर से 30 किलोमीटर दूर आयोजित इस पार्टी से 29 लड़कियों समेत 251 यंग प्रफेशनल्स और स्टूडेंट्स गिरफ्तार किए गए थे। उन लोगों के पास से मारिजुआना और ड्रग्स मिली थीं।

दिल्ली एनसीआर भी हैं चपेट में
राजधानी और आसपास के इलाकों में तेजी से पैर पसार रहे ग्लोबल कल्चर ने यहां के युवाओं को भी रेव पार्टी की ओर आकर्षित किया है। पिछले दिनों फरीदाबाद और गुड़गांव जाने वाले रास्तों पर बने फार्महाउसों में इस तरह की पार्टिया होने की खबरें आई थीं। रिपोर्ट में बताया गया था कि डिस्कोथेक और पब पार्टी से ऊब गए युवाओं ने कुछ नया करने की चाहत में राजधानी से थोड़ी दूर स्थित इन फार्महाउसों को अपना ठिकाना बनाया है। रात जवां होने के साथ ही पुलिस और प्रशासन की नजरों से दूर शुरू होने वाली ये पार्टिया सुबह तक चलती हैं। गुड़गांव पुलिस भी इस तरह की पार्टियों का खुलासा भी कर चुकी है। इन पार्टियों के शौकीन युवा सिर्फ आधा या एक घंटा पहले फार्महाउस के मालिकों से संपर्क करते हैं और पहले से तय साथियों के साथ वहां जा पहुँचते हैं। उसके बाद शुरू होता है रात रंगीन करने का सिलसिला।

इंटरनेट पर फैला है साम्राज्य
अगर आप इंटरनेट पर `रेव पार्टी´ सर्च करते हैं, तो इससे जुड़ी दर्जनों साइट्स खुल जाती हैं। इन साइट्स में रेव पार्टी आयोजित करने से लेकर रेव पार्टी में पहली जानी वाली ड्रेसेज तक के बारे में तमाम तरह की जानकारियां उपलब्ध हैं। राजधानी की एक रेव पार्टी में हिस्सा ले चुके मोहित (बदला हुआ नाम) ने बताया, `आमतौर पर रेव पार्टिया पुलिस के डर से शहर से दूर स्थित फार्महाउसों में आयोजित की जाती हैं। वेन्यू पर माहौल सजाने के लिए डीजे, लाइट के साथ-साथ ड्रग्स और ड्रिंक्स का भी इंतजाम रहता है। आमतौर पर 18 से 25 वर्ष की उम्र के युवाओं को रेव पार्टी में इंवाइट किया जाता है, लेकिन ऐसी पार्टियों में कोई एज लिमिट नहीं है। बस कोशिश यही होती है कि यहां सब कुछ भूलकर सब कुछ करने की चाह रखने वाले लोग ही आएं।´

क्या है पॉपुलैरिटी की वजह
इन पार्टियों में रईसजादों के बच्चे, यंग प्रफेशनल्स और स्टूडेंट्स की बड़ी संख्या में रहते हैं। इसकी वजह के बारे में साइकिएटि्रस्ट डॉक्टर समीर पारिख कहते हैं, `आजकल का युवा ग्लैमर के पीछे भाग रहा है। साथ ही उसमें एक्सपेरिमेंट की करने की चाहत भी तेजी से पनप रही है। ऐसे में खुद को माडर्न दिखाने की चाह में वह इस तरह की पार्टियों में शामिल हो जाता है। मजे-मजे में ड्रग्स आजमाई जाती हैं और फिर वे हमेशा के लिए इन चीजों के गुलाम हो जाते हैं।´ जबकि साइकॉलजिस्ट अरुणा ब्रूटा का मानना है, `आजकल का युवा माडर्न और ग्लैमरस बनने की चाह में गलत रास्ते पर चलने में भी परहेज नहीं करता। यही वजह है कि मस्ती का अड्डा कहलाई जाने वाली ये पार्टिया कई बार फ्रस्ट्रेशन निकालने का रास्ता भी बनती हैं। इन पार्टियों में नशे के दम के बीच खुद को भुलाकर युवा अपना गम गलत करते हैं।´

नई जेनरेशन के नए कायदे
सीएसडीएस से जुड़े समाजशास्त्री अभय कुमार दूबे बदलते लाइफस्टाइल को युवाओं के रेव पार्टीज की ओर आकर्षित होने की वजह मानते हैं। उन्होंने बताया, `ग्लोबलाइजेशन की वजह से आजकल के युवाओं के काम करने के साथ एंजॉय करने का तरीका भी बदल गया है। पहले लोगों के पास काम का ज्यादा दबाव नहीं था, जबकि आज का युवा दिन-रात सिर्फ काम में जुटा हुआ है। मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट के दरवाजों पर अक्सर `वर्क हार्ड एंड पार्टी हार्डर´ लिखा रहता है। यही वजह है कि युवा अब काम के वक्त भरपूर काम और मस्ती के वक्त भरपूर मस्ती को फॉलो करते हैं। मुझे रेव पार्टी में कोई बुराई नजर नहीं आती। बदलते वक्त के साथ हमें अपनी नैतिकता की कसौटी को चेंज करना होगा। अगर हम अभी भी पुरानी नैतिकता का चश्मा लगाए रखेंगे, तो हमें हरेक नौजवान बुरा ही दिखाई देगा।´

संभव है रोक
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण कहते हैं, `वैसे तो सरकार की ओर से शराब और म्यूजिक के साथ पार्टी आयोजित करने पर कोई रोक नहीं है। लेकिन ऐसी जगहों पर ड्रग्स जाए जाने पर पार्टी में मौजूद लोगों को ड्रग्स कंट्रोल एक्ट के तहत सजा हो सकती है।´ दिल्ली पुलिस के डीसीपी देवेश श्रीवास्तव ने बताया, `रेव पार्टी में पकड़े गए लोगों को उनके पास मौजूद ड्रग्स की मात्रा के मुताबिक कम या ज्यादा पीरियड की सजा हो सकती है। साथ ही,ड्रग्स का सेवन करने वालों के लिए भी सजा का प्रावधान है।

3 comments:

  1. let me know how to join them

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  2. सजा या कानून से ऐसी समस्याओं का हल नहीं निकल सकता. बात युवाओं को जागरूक करने की है. ये तो सत्तर के दशक की हिप्पी संस्कृति अजूबे रूप में वापस आ रही प्रतीत होती है...

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  3. Youths shayad apna bhala bura nahin samajh paa rahe hain. halanki in parties men shamil hone tak ki nobat aane ke bhi bahut se kaaran hain jiske liye maa-baap bhi jimmedar hain.Society aur vatavaran ka to hath hai hi. jo bhi hai dukhad hai. police aur prashasan ko thoda kathor hokar action lena chahiye, ise rokane ke liye.

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